अंदर की बात
मुझे .......अफसोस रहेगा ।
-
प्रीति शर्मा "असीम" | May 05, 2020 08:00 PM
जिदंगीयों को,
अंधविश्वासों से दूर ले जाता ।
प्यार से जिंदगी है।
यह बात समझा पाता।
विश्वास का,
एक छोटा-सा ही सही।
पर... एक घर बना पाता।
समझ कर भी,
न-समझी का खेद रहेगा।
मुझे .......अफसोस रहेगा।
अंधेरे दूर हो जायें,
दिलदिमाग से भरमों के।
अंधविश्वास की सोच से,
निकाल कर,
जो तर्क समझा पाता।
चिराग तो बहुत जलायें।
लेकिन........?
चिरागों तले जो रहे अंधेरे,
उन्हीं का भेद रहेगा।
मुझे ......अफसोस रहेगा।
जिदंगी ईश्वर की अमूल्य नेमत।
नही दे सकता।
किसी बाबा का....कोई धागा।
हिम्मत से संवारो ,
अपने जीवन को।
न खोना,
बहमों में अपने ,
आज और कल को।
भटकन को अपनी समेट कर।
ईश्वर का सत्य -संवाद रहेगा।
और तब तक वेद- विज्ञान रहेगा।
फिर न कोई खेद और न भेद रहेगा।
समझ जायें तो.... अच्छा है।
फिर न कोई अफसोस रहेगा।
-
-