Saturday, April 20, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
सुखराम चौधरी का संजय अवस्थी और अनिरुद्ध सिंह पर पलटवारज़िला निर्वाचन अधिकारी ने नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण कियास्वीप के अंतर्गत भरमौर विधानसभा क्षेत्र में  कुवारसीं, बजोल, बडेई और  दाडवी में मतदाता जागरूकता अभियान आयोजितएसडीएम अर्की ने कम मतदान प्रतिशत वाले मतदान केंद्र में चलाया विशेष जागरूकता अभियानवर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सभी वर्ग दुखी : कश्यपगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकउपायुक्त का 'नशा मुक्त ऊना' बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों पर बल
-
लेख

काव्य - संग्रह " त्रासदियों का दौर " पर मंतव्य

-
प्रीति शर्मा असीम | September 17, 2020 12:06 PM

  अमिताभ शुक्ल को कविता का संस्कार बचपन से ही मिल गया था . पेशे से अर्थशास्त्र के विश्वविद्याल यीन अध्यापक होकर भी उनकी अभिरुचि इतर अकादमिक अनुशासन में भी खूब है। इसलिए किताबी दुनिया के बीच रहकर किताबी कीट बन जाने वाली नियति से बचे रहे और समाज के प्रत्येक चाल चलन के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपनी संवेदनात्मक सजगता का परिचय देते रहे . कविता इन दिनों ठीक-ठीक क्या है ,कहना मुश्किल है . मेरी समझ में तो इतना आया है कि वह एक भावनात्मक भाषा है , संभवतः मूर्ति मती भाषा . डॉ अमिताभ शुक्ल की कविताएं इस कसौटी पर कितनी खरी हैं यह उनके पाठक ही तय करेंगे . पर जैसा महाकवि तुलसी कह गए हैं कि सच कहना ही कविता है . अमिताभ की कविताएं भी जमाने के उसी सच का बयान हैं . - प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह साहित्यकार एवं समालोचक , - भोपाल (म.प्र.) दिनांक - २ अक्टूबर २०.

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और लेख खबरें
-
-
Total Visitor : 1,64,52,813
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy