Friday, March 29, 2024
Follow us on
-
धर्म संस्कृति

लोक विरासत शिरगुल देव परंपराएं और त्योहार अध्ययन कार्यशाला और प्रशिक्षण शिविर

-
बालम गोगटा, जिला प्रमुख ब्यूरो, हिमालयन अपडेट | November 26, 2021 06:30 PM

चौपाल,


चौपाल उप मण्डल की ग्राम पंचायत देवत के बटेबड़ी तथा शण्ठा गांवों में हिमालयन संस्कृति विकास एवं शोध संस्थान द्वारा लोक विरासत शिरगुल देव परंपराएं और त्योहार परियोजना पर चार दिवसीय अध्ययन कार्यशाला तथा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
लोक संस्कृति और देव परंपराओं के मूल से जुड़े चार दिवसीय कार्यक्रमों में आमंत्रित लोक विद्वानों, लोक कलाकारों, लोक विशेषज्ञों और लोक साहित्यकारों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
इन कार्यक्रमों पर सूचना देते हुए अध्यक्ष हिमालयन संस्कृति विकास एवं शोध संस्थान गोपाल दिलाइक ने बताया कि देव संस्कृति और लोक त्योहार हमारे देश की बहुमूल्य विरासत है । इसके संरक्षण, परिवर्द्धन, उन्नयन, विकास एवं प्रोत्साहन के संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एक सुदृढ़ स्तंभ की तरह प्रयत्नशील है। पर्वतीय वादियों की लोक संस्कृति और देव संस्कृति पर संस्थान संस्कृति मंत्रालय से स्वीकृत सहायतानुदान परियोजना लोक विरासत शिरगुल देव परंपराएं और त्योहार पर चरणबद्ध तरीके से काम कर रहा है। शिरगुल देव मंदिर प्रांगण बटेवड़ी में शिरगुल देव परंपरा से संबंधित सांचा विद्या पर खोज एवं अनुसंधान करने के उद्देश्य से चंदवाण ब्राह्मणों की सांचा विद्या पोथियों को लोक साहित्यकारों, लोक अनुसंधित्सुओं, लोक विद्वानों के समक्ष रखा गया । उस विद्या के ज्ञान अर्जन पर बुजुर्ग ब्राह्मणों का मत था यह परंपरा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। अब नव सीखियों की कमी बढ़ती जा रही है । यह विद्या तपस्या और घोर परिश्रम से हासिल होती है। नई पीढ़ी इस पर समय देने की कोशिश नहीं करती है परिणामस्वरूप सांचा विद्या की डोर मजबूत हो नहीं पा रही है। हालांकि कुछ नव सीखियों ने जरूर रूचि दिखाई है । शोध के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि इसी विद्या के बल पर सहदेव पांडव अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर की दैनिक पूजा के लिए नवमंदिर निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण और चयन करवाते थे। यही वास्तू शास्त्र का मूल माना जाता है । इस तरह के न जाने कितने रहस्य सांचा विद्या में छिपे हुए हैं। इनमें भोट ज्ञानी, मूर्त ज्ञानी, प्रश्न ज्ञानी आदि के स्वरूप को जिज्ञासुओं में समझने का प्रयास किया गया।
इस विद्या को रमल ज्योतिष शास्त्र का जनक भी माना जाता है । लोक मंगल की भावना पर आधारित सांचा के कुछ अंशों को सांझा करते हुए सांचा लोक विशेषज्ञ सुरेश चंदवाण ने कहा इसी सांचा की गणना के आधार पर रियासतीकाल में राजा जुब्बल का पंचांग भी शिरगुल देव भूमि बटेवडी से ही बन कर जाता था तभी तो चंदवाण ब्राह्मणों को राजपुरोहित का दर्जा हासिल था। जनता के अधिकतर दुखों के निवारणार्थ सांचा विद्या को खोजा जाता रहा है। लोकमान्यता है कि सांचा से निकले निवारण से आम जनता को बहुत ही आराम और लाभ भी मिलते रहे है।
इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में शिरगुल देव परंपरा के परिचायक विभिन्न त्योहारों के अवसर पर ढोल, नगाड़ों, रणसिंगा, करनाल और शहनाई की तान पर बजाई जाने वाली लोक धुनों और संगीत का नवोदित कलाकारों को प्रशिक्षण दिया गया । तदपशचात सतत अभ्यास करवाए जाते रहे । इनमें शिरगुल देव के मुख्य त्योहार खिल्ला भड़ाच के अवसर पर बजाई जाने वाली लोक धुनों स्नान, भण्डारण, चलता, ठठईर, माला गीतों, माला नृत्य आदि पर जम कर अभ्यास करवाया गया। प्रबाद, पूजेल, सदीवा और नब्द जैसी लोक विद्याओं पर कार्यशाला में बल दिया गया। इन लोक विद्याओं की ओर नव अन्वेषी युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया गया। इस समारोह में प्रधान ग्राम पंचायत देवत राजेंद्र चौहान ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और लोक संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में हिमालयन संस्कृति विकास एवं शोध संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने इस दिशा में ग्राम पंचायत की ओर से भरपूर सहयोग देने का वचन दिया।

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और धर्म संस्कृति खबरें
होलिका दहन का महत्व: डॉ० विनोद नाथ चिंतपूर्णी में चैत्र नवरात्र मेला 9 से 17 अप्रैल तक बाबा भूतनाथ को दिया शिवरात्रि मेले का न्योता बुधबार् को देहुरी में होगा भव्य देव मिलन जय दुर्गा माता युवक मंडल चखाणा ने  श्रीराम मन्दिर प्राण प्राण प्रतिष्ठा पर आयोजित किया कार्यक्रम  चारों दिशाओं में सिर्फ राम नाम गुंजा और हर जनमानस राम में हो गया : विनोद ठाकुर आखिर पांच सौ वर्षों का इंतजार खत्म हुआ : आशीष शर्मा  राजभवन में सुंदरकांड का पाठ रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपलक्ष पर  आयोजित कार्यक्रम में लिया विधानसभा अध्यक्ष ने भाग मेरी झोंपडी के भाग आज खुल जायेंगे,  राम आयेंगे आनी में खूब गूंजे जय श्रीराम के नारे
-
-
Total Visitor : 1,63,85,861
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy