Saturday, September 30, 2023
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
नशा मुक्त ऊना के तहत नोडल अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजितराजस्व अधिकारियों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजितडाॅ. शांडिल ने ममलीग में विजेताओं को किया सम्मानितरचनात्मक गतिविधियां व्यक्तित्व निर्माण में सहायक - डाॅ. शांडिलआनी के विधायक लोकेन्द्र कुमार ने जुआगी के धाराबाग में सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के सम्मान में लिए गए निर्णयों को लोगों से अवगत करायाकांग्रेस सरकार ने शहरी निकायों की परेशानी बड़ाई, ग्रांट इन एड राशि वापस मंगवाई : धर्माणी भूपेन्द्र शर्मा (हुड्डा) बने भाजपा युवा मोर्चा के आनी मंडल के अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद प्रतिभा सिंह ने संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण कानून बनने पर महिलाओं को बधाई दी
-
कहानी

मन चंगा तो कठौती में गंगा ; निर्मला कर्ण

 
ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | February 18, 2022 06:51 PM
निर्मला कर्ण

 

बहुत पहले जनश्रुति के रूप में यह कथा सुनी थी l बात बहुत पुरानी है l कहते हैं एक बहुत ही क्रूर सास थी जो अपनी बहू को बहुत सताती थी l ना उसे अच्छा पहनने को देती,ना अच्छा खाने को देती, न ही कहीं आने-जाने की अनुमति देती l परन्तु बहु बहुत धार्मिक स्वभाव की थी l अपनी सास के द्वारा सताए जाने पर भी उनकी सेवा करती,पूरे परिवार की देखभाल करती और वह मानती थी कि कर्तव्य पालन सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है l वह सदा कहती थी सभी से - "मेरा मन साफ है,मैं अपने कर्तव्य का पालन करती हूं,तो ईश्वर मुझ पर सदा प्रसन्न रहेंगे l मन चंगा तो कठौती में ही गंगा आ जाती है"l
एक बार की बात है कार्तिक पूर्णिमा के समय सासु जी ने गंगा नहाने का कार्यक्रम बनाया,और वह बहू को अपने साथ में नहीं ले गई l बहू को कहा -
"तू घर में ही नहा ले l तेरा मन तो चंगा है ना,तुझे फिर क्या चिंता गंगा जाने के लिये ? गंगा बहुत दूर है,तेरी कठौती में तो गंगा रहती है ना, तू अपनी कठौती के गंगा से स्नान कर लेना"l
सासु माँ अन्य कई लोगों के साथ में चली गई कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान को l कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान के लिये दूर-दूर से लोग आए थे l बड़ा मेला लगा था l मेले में भीड़ बहुत अधिक थी l उसी भीड़ में सासू मां अपने बाकी साथियों के साथ गंगा नदी में प्रविष्ट हुई स्नान के लिए l स्नान के बाद ऊपर आई और कपड़े बदलने के बाद देखा तो उनके गले की सोने की जंजीर गायब थी l
अब तो परेशान हो गई वह l खोज-खोज कर वह परेशान हो गयी l नहाने के पहले तो गले में ही थी l क्या गंगा नदी में गिर गयी l सबने मिलकर खोजने का प्रयास किया परंतु जंजीर नहीं मिलनी थी,नहीं मिली l बहुत दु:खी होकर सासू मां वापस आ रही थी l चिंतित हो सोच रही थी -
'यह क्या हो गया,क्या गङ्गा माँ ने उनके धर्म को नहीं स्वीकार किया,उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं किया,उनकी जंजीर गंगा नदी में गिर गई l उनके सभी साथियों ने उन्हें बहुत समझाया l परंतु वे दु:खी ही रही l
वापस आने के बाद बहू ने उनका हुलास के साथ स्वागत किया l सासू मां दूर सफर से आयी हैं थक गयी होंगी सोच कर उनके पाँव भी दबायी,और उन्हें गर्म ताजा भोजन बनाकर खिलाया l पूरे नियम का पालन किया l कई प्रकार के पकवान बनाये l तीर्थ से वापसी के बाद बड़ी खाया जाता है,इसलिए बहू ने बड़ी भी बनाया था,और सासू मां को खिलाया l परंतु सासू मां को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था l
उन्हें उदास देख बहू ने उनसे पूछ लिया - "क्या मां आप तीर्थ करके आयी हैं - गंगा स्नान करके,फिर इतनी दु:खी क्यों हैं l आपको तो प्रसन्न होना चाहिए कि आप पुण्य कमाकर आयी हैं l लेकिन मैं देख रही हूं,आपके चेहरे पर दु:ख का घना साया है,ऐसा क्यों"?
सासू मां ने कहा - "क्या कहूं वहां गंगा स्नान करते समय मेरी सोने की जंजीर गंगा नदी में ही गिर गई l बहुत ढूंढा परंतु नहीं मिली,बड़ी हानि हो गयी l सोना खोना अच्छी बात नहीं है,बुरा होता है l इसलिए मैं उदास हूं"l
बहुत झट उठकर अपने कमरे में गयी, और वापस आकर उनके हाथों में सोने की जंजीर पकड़ा दी- "मां कहीं यह जंजीर तो नहीं है आपकी"?
सासू मां आश्चर्यचकित - "बहु यह तुम्हारे पास कैसे आयी ? मैं घर में तो भूली ही नहीं,इसे पहन कर गई थी l वहां देखा भी था स्नान के पहले,मेरे गले में ही थी यह जंजीर l फिर तुम्हारे पास कैसे आ गयी यह,किसने लाकर तुम्हें दिया"?
बहु मुस्कुराई - "पता नहीं,मैं नहीं जानती मां कि मेरे पास कैसे आ गयी l मैं तो कठौती में जल लेकर पूर्णिमा के दिन स्नान करने के लिए बैठ गयी l जब नहाने लगी तो मुझे उसमें यह जंजीर मिली l मुझे आश्चर्य लगा,इसलिए मैंने इसे रख दिया कि आप से पूछूंगी जंजीर आपकी है क्या, क्योंकि यह मेरी जंजीर नहीं थी"l
सासु माँ ने अपनी बहू को प्यार से अपने गले लगा लिया और कहा - "तुम्हारी पवित्र भावना के वशीभूत होकर सचमुच गंगा माँ तुम्हारी कठौती में आ गयी थीं l तुम धन्य हो बहु"l
उस दिन से सासु मां का हृदय परिवर्तन हो गया और वह अपनी बहू को बहुत प्यार देने लगी l

स्वरचित

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कहानी खबरें
-
-
Total Visitor : 1,56,40,390
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy