बरसाने की होली
होली खेलूं रे संग नन्दलाल
डालो डालो रे पिय रंग लाल
श्याम वर्ण की सुरभित काया
नन्द यशोदा ने तुमको जाया
छूना न मेरे गोरे गाल
होली खेलूं रे संग नन्दलाल
डालो डालो रे पिय रंग लाल
मोर पखा शोभित सिर ऊपर
अधर धरे मुरली मधुर
नाचत संग संग सुर-ताल
होली खेलूं रे संग नन्दलाल
डालो डालो रे पिय रंग लाल
मन हरत छन छन नयन तुम्हारे
तुम मेरे बस मोहन प्यारे
देखो न तुम मेरा हाल
होली खेलूं रे संग नन्दलाल
डालो डालो रे पिय रंग लाल
विनय हुई अब राधिका प्यारी
रंग भर भर श्याम मारो पिचकारी
आओ लगाओ गाल गुलाल
होली खेलूं रे संग नन्दलाल
डालो डालो रे पिय रंग लाल।।
स्वरचित एवं मौलिक कहीं से कोई कापीराइट नहीं है।
डॉ विनय कुमार सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत