*शहीदे आज़म भगत सिंह-*
लाल भगत सिंह भारत माँ का हरदम ही यूँ बोला...
मेरा रंग दे बसंती चोला..माही रंग दे बसंती चोला...
किशन सिंह सरदार के घर में जन्मा वीर पुरोधा था
विद्यावती कौर का ज़ाया भगत जुनूनी योद्धा था
नारा देकर इंक़लाब का भड़काया था शोला और-
जोश में भरकर बोला..मेरा रंग दे बसंती चोला ..माही रंग दे...
बचपन से ही गोरों की मनमानी थी उसने देखी
जनता पर अंग्रेजों की होती कारिस्तानी देखी
भरी असेंबली में उसने जब फेंका एक हथगोला तब-
मुस्का कर यूँ बोला-
मेरा रंग दे बसंती चोला,माही रंग दे बसंती चोला...
हत्या कर सांडर्स की उसने क़र्ज़ वतन का चुका दिया
राजगुरु सुखदेव के संग में जज़्बा अपना दिखा दिया
देश को सबसे ऊपर रखकर उसने खुद को तोला और-
फिर हंसकर वो बोला-
मेरा रंग दे बसंती चोला,माही रंग दे बसंती चोला..
वतन परस्ती भाप भगत की गोरे सब थर्राए थे
नाम ज़ुबाँ पर उसका आते ही भय से घबराए थे
हँसते हँसते फाँसी के फंदे पर था जब वो झूला तब-
बच्चा बच्चा बोला..
मेरा रंग दे बसंती चोला,माही रंग दे बसंती चोला..
शहीदे आज़म कहलाया वो बंगा वाला था भागां
जोश देखकर उसका भारत का हर इक जन था जागा
शहादत जिसकी देख वतन के वीरों का खूँ खोला और-
भारत का दिल बोला-
मेरा रंग दे बसंती चोला,माही रंग दे बसंती चोला..
*✍️राजपाल यादव,गुरुग्राम*
*29-03-2022*