कविता
मैं लड़ सकती हूं और दे सकती हूं जवाब ; दीपाली शर्मा
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ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | April 03, 2022 08:34 PM
दीपाली शर्मा
मैं चल सकती हूं किसी भी पथ पर ,
आंखो में आंसु हो या बाहर से केवल भावुक हूं फिर भी
मैं लड़ सकती हूं और दे सकती हूं जवाब किसी भी अभद्रता का ।
पर मैं हैरान रह जाती हूं जब
एक स्त्री को दूसरी स्त्री के द्वारा छलता हुआ देखती हूं ,
एक स्त्री को दूसरी स्त्री के लिए खौलता देखती हूं ,
एक स्त्री को दूसरी स्त्री से तौलता देखती हूं ।
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