दुर्गा स्तुति
हे अष्टभुजा हे सिंह वाहिनी
हे शक्ति स्वरूपा विंध्य निवासिनी
करो माँ सब पापों का नाश
दुष्ट शक्ति का करो विनाश
ब्रह्मा विष्णु महेश तुममें समाये
सुर मुनि सब तुम्हरे गुण गाये
हर लेती तुम विपदा भक्तों की
तुम्हरे सन्मुख जो भी आये
हे जगत माता पाप नाशिनी
तुम ही हो भवसागर तारणी
कृपा करो माँ हो सब दुख दूर
संकट हरो, हो विघ्न सब चूर
रक्ताम्बर परिधान तुम्हारा
सम्पूर्ण जगत को अवलंब तुम्हारा
भक्तों का उद्धार करो माँ
भयमुक्त सारा संसार करो माँ
(स्वरचित)