रायपुर छत्तीसगढ़,
घाव पुराना हो, नासूर बन जाता है,
घाव पुराना हो, नासूर बन जाता है,
गहरा यार भी कभी दुश्मन बन जाता है।
पलके उठा कर जब झुकाती हो, समंदर भी,दरिया में मिल जाता है।
माना हैसियतदार नही है हम,
ख्वाब से तेरे तो पुराना रिश्ता है।
नीदों में दो क्षण रुक जाओ जरा,
सिर्फ खुदगर्जी का हमसे नाता है।
मैंने पलों को सहेजा सदियों की तरह,
बेवफाई का तेरी,वर्षों का बही खा
ता है।
आज जो गए, लौट कर न आएंगे।
जज्बातों से अब क्या रिश्ता नाता है।