*ग़ज़ल*
मोहब्बत में उनके सफ़र कर रहे हैं।
बता दो उन्हें किस क़दर कर रहे हैं।।
निगाहें मिली जब निगाहों से उनके।
मोहब्बत दिलों पे असर कर रहे हैं।।
कहीं काश होता उन्हें इल्म इसका।
हम याद शाम-ओं सहर कर रहे हैं।।
क्यों रह-रह ज़ेहन में ख़यालात मेरे।
परेशान शाम-ओ-शहर कर रहे हैं।।
लगा ग़र न क़ाबिल उन्हें मेरा तोहफ़ा।
चलो दिल उन्हीं के नज़र कर रहे हैं।।