देशभक्ति में कसर
दिन-रात यूं जाएं गुजर,
चाहे लग जाएं सारी उमर।
कसम देश की मिट्टी की,
देशभक्ति में न रहेगी
मेरी कोई कसर।।
इस मिट्टी में जन्मा हूं,
इस मिट्टी में पला हूं।
जीवन सफल हुआ मेरा,
मैं न कभी हाथ मला हूं।।
मेरे रग- रग में दौड़ते खून,
मेरे मातृभूमि का है असर।
देशभक्ति में न रहेगी,
मेरी कोई कसर।।
मेरा हृदय में स्वदेश बसा है,
भले मेरी दयनीय दशा है।
ऋणी हूं मैं भारत भूमि का,
कर्ज चुकाने को सदैव तैयार हूं।
दुश्मनों के लिए शोला हूं,
बलि देने को कटार हूं।।
मेरी क्रोध की होती है,
सागर सी लहर।
देशभक्ति में न रहेगी ,
मेरी कोई कसर।।
हे मां भारती,
तुझे कुछ और समर्पण करता।
काश, जीवन से बढ़कर,
कुछ और होता।।
कामना है ईश्वर से,
हर जन्म इसी धरा पर लूं निरंतर।
देशभक्ति में न रहेगी,
मेरी कोई कसर।।