*बरसाती मेढ़क*
बारिश में सब नाचे गाए।
मिलकर सारे धूम मचाए।
बरसाती मेढ़क सबको ही भाते।
टर-टर करके मेढ़क गाते।
आलू पकौड़े हमने खाए।
बारिश में सब नाचे गाए।
तितली फूलों पर मडराती।
भवरों के संग गाना गाती।
बादल गरज कर मुझकों डराए ।
बारिश में सब नाचे गाए।
मिलकर सारे धूम मचाए।
कोयल मीठे गीत सुनाती।
रूठूँ तो मैं मुझकों मनाती।
ठण्डी पवन ये मुझकों सताए।
बारिश में सब नाचे गाए।
मिलकर सारे धूम मचाए।
इंद्रधनुष के रंग ये प्यारे।
लगते देखो कितने न्यारे ।
सूरज का प्रकाश ये छाए।
बारिश के संग रंग दिखाए।
बारिश में सब नाचे गाए।
मिलकर सारे धूम मचाए।
बिजली चमक कर शोर मचाती।
बारिश की बूंदे धरती सजाती।
पेड़ो पर हरियाली छाई।
ओस की बुंदे से सज आई।
बच्चों की मस्ती मुझकों हँसाए ।
बारिश में सब नाचे गाए।
मिलकर सारे धूम मचाए।
✍️ राखी कौशिक धामपुर (बिजनौर)