कुमारसैन,
ग्रामीण क्षेत्रों के दुग्ध उत्पादकों ने मिल्क फेडरेशन से दूध के दाम 30 रुपए प्रति लिटर करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि दुग्ध उत्पादक फेडरेशन द्वारा तय की गई दर बहुत कम है दूध की लागत इससे कहीं अधिक बैठती है। दुग्ध उत्पादन करने वाले ग्रामीणों को दुधारू पशुओं को पालने पोसने के लिये फीड, चोकर, घास आदी की व्यवस्था करने में अब ज्यादा खर्चा आ रहा है। हाल में मिल्क फेडरेशन द्वारा दुग्ध उत्पादको से 15 से 22 रुपए तक प्रति लिटर के हिसाब से दूध की खरीददारी की जा रही है। ग्राम पंचायत बनाहर पंचायत के चिमथला, बनाहर और छबोग गांवों के ग्रामीणों के अनुसार मिल्क फेड गांव के गरीब किसानों से एक लीटर दूध मात्र 15 से 18 रुपये में खरीद रहे हैं जबकि चोकर की बोरी एक हजार रुपये में मिल रही है। ग्रामीणों का तर्क है कि मिनरल पानी की एक लीटर पानी की कीमत 20 रूपये है और दूध पानी से भी सस्ता बिक रहा है इससे बड़ी बिसंगति और क्या हो सकती है। इतना ही नहीं मिल्कफेड दुग्ध उत्पादकों को पेमेंट भी तीन चार महीनों के बाद अदा करता है।
महिला मंडल प्रधान छबोग सीमा देवी अन्य ग्रामीण श्याम सिंह जोगिन्दर सिंह मीना देवी लता देवी आदि ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि दूध के दाम प्रति लीटर कम से कम 30 रुपए होने चाहिए ताकि ग्रामीणों को मुनासिब दाम मिल सके। राजीव् गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश समन्वयक दीपक राठौर ने ग्रामीणों की इस मांग को प्रदेश सरकार से उठाने की बात कही है और कहा कि संगठन प्रदेश स्तर पर दुग्ध उत्पादकों को एकत्रित कर इसे जनांदोलन बनाने की मुहिम को लेकर जल्द जिला संयोजकों और प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक कर दुग्ध उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिये हर संभव प्रयास करेगा।
इस बारे डायरेक्टर मिल्क फेडरेशन शिमला किन्नौर मृगेंद्र कंवर का कहना है कि मिल्क फेडरेशन कुमारसैन मे दुग्ध उत्पादकों की बैठक कर उनकी मांगो व समस्याओं पर विचार विमर्श करेगी और सरकार से मांगो को पूरा करने के लिये हर संभव प्रयास करेगी।