शिमला में पिछले दिनों लगभग 17 वर्षों के बाद फरवरी के महीने में रिकॉर्ड उच्च तापमान रिकॉर्ड किया गया। वातावरण व जलवायु में इस तरह के परिवर्तन हमारे लिए एक बहुत बड़ा संकेत है कि आने वाला समय हमारे लिए और भी भयानक होने वाला है। हमें पर्यावरण और वातावरण में हो रहे परिवर्तन के कारण अनेक प्रकार के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे इसके लिए हमें हमेशा तैयार व सजग रहने की जरूरत है। पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन कोई अचानक से नहीं हुआ यह हमारे मनुष्य जाति द्वारा किए गए निरंतर विकासात्मक और अन्य क्रियाकलापों का परिणाम है जो कि इस सदी मैं देखने को आया है।
पहला असर तो वैश्विक तापमान में निरंतर बढ़ोतरी है। वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और भयंकर बारिश हो सकती है।
कुछ गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पृथ्वी के वातावरण में सूरज की गर्मी को अपने अंदर रोकती हैं। ये ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से भी मौजूद हैं।
मानव गतिविधियों, विशेष रूप से बिजली वाहनों, कारखानों और घरों में जीवाश्म ईंधन (यानी, कोयला, प्राकृतिक गैस, और तेल) के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है। पेड़ों को काटने सहित अन्य गतिविधियां भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं। पृथ्वी पर गर्मी बढ़ाने के लिए यह बहुत जिम्मेदार है और वैश्विक तापमान में वृद्धि करती है।
हमें इन सब बातों को ध्यान रखते हुए संज्ञान लेना चाहिए कि समय रहते हुए हमें अपने पर्यावरण व वातावरण की सुरक्षा करनी है और सटीक दिशा में कदम उठाने चाहिए। यह केवल सरकारों और प्रशासन का ही काम नहीं है हमें भी अपने आप में बहुत से प्रयास करने चाहिए जो कि निजी स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में सहायक हो सकते हैंi कृपया अपने आसपास के वातावरण को साफ रखें वह ऐसा कोई क्रियाकलाप ना करें जिससे कि वातावरण को क्षति पहुंचे अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।
डॉ विनोद नाथ
संस्थापक, श्रीनाथजी ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन