रामपुर बुशहर,
प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों के पहाड़ों पर हो रही लगातार बर्फबारी के कारण कारण सतलुज के पानी में की कमी आ गई है, सतलुज के सहायक नदी नालों में भी जलस्तार गिर गया है। पानी की कमी के चलते जलविद्युत परियोजनाओं के उत्पादन पर भी असर पड़ने लगा रहा है। एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजना 1500 मेगावाट नाथपा-झाकड़ी में आजकल विद्युत उत्पादन 36 मिलियन यूनिट से घट कर 6 मिलियन यूनिट रह गया है। गर्मियों में सतलुज नदी का जल स्तर 1300 से 1600 क्यूमेक्स या इससे भी ऊपर रहता है जो आजकल घट कर केवल 70 क्यूमेक्स ही रह गया है। गौर हो कि एजेवीएन उत्तरी भारत के 9 राज्यों की बिजली आपूर्ति पूरी करता है बिजली उत्पादन कम होने से उत्तरी भारत के राज्यों को बिजली की किल्ल्त झेलनी न पड़े इसके लिए थरमल पावर कारपोरेशन द्वारा पूरी की जा रही है। गर्मियों के आगाज के साथ सतलुज नदी का जल स्तर बढ़ने लगेगा साथ भी विद्युत उत्पादन में भी इजाफा होगा क्योंकि पहाड़ों पर पर्याप्त रूप से बर्फवा्री हुई है।
नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना 1500 मैगावाट परियोजना प्रमुख संजीव सूद ने बताया कि पहाड़ों पर लगातार हो रही बर्फबारी से ठंड बढ़ने से सतलुज नदी में भी पानी कम हुआ है। सतलुज नदी का जल स्तर नाथपा नामक स्थान में इन दिनों 70 क्यूमेक्स है जब कि गर्मियों में जलस्तर 1300 क्यूमेक्स से ऊपर रहता है। परियोजना में आजकल बिजली का उत्पादान 6 मिलियन यूनिट चल रहा है मई माह के बाद बिजली उत्पादन 36 मिलियन यूनिट रहता है। परियोजना प्रमुख संजीव सूद ने बताया कि 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी परियोजना से प्रतिवर्ष 1500 से 1800 करोड़ का लाभ होता है सर्दियों में परियोजना की मशीनरी की मेंटेनेंस का कार्य भी किया जाता है जबकि गर्मियों में थरमल पावर कार्पोरेशन मेंटेनेंस का काय करता है।