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धर्म संस्कृति

योगवशिष्ठ और साधक योग विकास के चरण (भाग 3): पतंजलि योग और योगवशिष्ठ

 
डॉ विनोद नाथ | July 20, 2022 04:13 PM
डॉ० विनोद नाथ, चेयरमैन श्री नाथ योग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन (रजि.)

पतंजलि महान ऋषि, योगी और दार्शनिक थे और उन्होंने आधुनिक योग की नींव रखी। उनके कार्यों के विश्लेषण से यह अनुमान लगाया जाता है कि यह ईसा पूर्व चौथी और पांचवीं शताब्दी के बीच का था।

उन्हें कई संस्कृत कार्यों का लेखक और संकलनकर्ता माना जाता है।

पतंजलि योगसूत्र के लेखक थे इसमें योग पर 196 दार्शनिक सूत्र शामिल हैं, कई कई महत्वपूर्ण ग्रन्थ जैसे जैसे पाणिनी योग के अष्टाधार पर आधारित महाभाष्य, रत्नाकर, पदार्थ विज्ञान आदि ऋषि पतंजलि की अनुपम देन हैI

चिकित्सा प्रणाली पर महत्वपूर्ण ग्रन्थ “पतंजलि तंत्र” है, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पतंजलि योग के संस्थापक नहीं है  लेकिन वे एक साधारण आधुनिक संस्कृत भाषा में पुरानी योगिक प्रणालियों के संकलनकर्ता हैं, वर्तमान योग प्रणाली अष्टांग योग, विनय योग, पतंजलि योग, अयंगर योग इत्यादि पतंजलि योग सूत्र पर ही आधारित है।

दूसरी और योगवशिष्ठ में आध्यात्मिक उन्नति पर बल दिया गया है, पारंपरिक मान्यता यह है कि इस पुस्तक को पढ़ने से आध्यात्मिक मुक्ति मिलती है।  योगवशिष्ठ एक महान, प्रबुद्ध ऋषि और मुक्ति के साधक के बीच की बातचीत है। योग-वशिष्ठ एक दार्शनिक कार्य के रूप में लोकप्रिय व्याख्यान है, और एक ही विचार अक्सर विभिन्न प्रकार की अभिव्यक्तियों और काव्य कल्पना के बारे में है। लेकिन ऐसा लगता है कि लेखक को असाधारण काव्य उपहारों से नवाजा गया है। लगभग हर कविता बेहतरीन काव्य कल्पना से भरी है; शब्दों का चयन मन को बहुत भाता है।यह महाभारत के बाद संस्कृत में सबसे लंबे हिंदू ग्रंथों में से एक है, और योग का एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसमें कई लघु कथाएँ और उपाख्यान शामिल हैं जिनका उपयोग इसके विचारों और संदेश को स्पष्ट करने में मदद के लिए किया जाता है। पाठ अद्वैत वेदांत और शैव त्रिक विद्यालय के प्रभाव को दर्शाता है। योग वशिष्ठ इन शानदार शब्दों के माध्यम से ज्ञान के प्रदाता और साधक की विश्वसनीयता को बताता है।'एक युवा लड़के के शब्दों को भी स्वीकार किया जाना चाहिए यदि वे ज्ञान के शब्द हैं, अन्यथा, इसे निर्माता ब्रह्मा द्वारा कहे जाने पर भी तिनके की तरह अस्वीकार कर देंI’ज्ञानार्थी का सम्बन्ध ज्ञान से ही होता है। भारतीय दर्शन की मान्यताओं का सार निचोड़ इस ग्रन्थ में समाहित है। हमारी समस्त आध्यात्मिक मान्यताएँ ही उपनिषदों, गीता, पुराण आदि में व्यक्त हुई है जो भारतीय दर्शन का सार है। इनको लेखक और समय की सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। आध्यात्मिक ज्ञान के जिज्ञासु व्यक्तियों तथा साधकों को जो सामग्री चाहिए वह योगवशिष्ट में पर्याप्त मात्रा में है। योगवशिष्ट और पतंजलि के योगसूत्र हमारी भारतीय संस्कृति की एक महान उपलब्धि हैI साधक के लिए दोनों ही बहुत उपयोगी हैI

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