कोरिया से आए डेलिगेट्स ने की मिट्टी से बने बर्तनों की भूरी भूरी प्रशंसा
डा. अग्रवाल ने संस्था व अतिथिगण का संक्षिप्त परिचय देते हुए शाब्दिक स्वागत किया I उन्होंने अनिल श्रीवास्तव को संग्रह के लिए साधुवाद दिया I
दीपशिखा दीप ने - " गुमशुदा है इंसान,तलाश अभी बाकी है,सुना है बुत मे है भगवान,तराश अभी बाकी है। " पंक्तियाँ पढ़ीं तो सम्पूर्ण हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो गया