भगवान ने जब से है पेट बनाया
पेट के साथ ही सभी को कुछ ना कुछ करना सिखाया
किसी को राजा तो किसी को फकीर
किसी को नेता तो किसी को डाकू बनाया
क्यूंकी डाकू और नेता का काम एक समान था
इसलिए थोड़ा भगवान भी परेशान था
इन दोनों को बनाने के बाद भगवान को याद आया
दोनों की ड्यूटियों का चार्टर बनाया
दोनों अपना अपना काम करने लगे
नोटो के भंडार भरने लगे
जन संपर्क दौरे पर निकले बाहर मंत्री
साथ में उनके चमचे और थे संतरी
मंजिल से पहले ही डाकुओं द्वारा पकड़े गए
रसियों और चेन में जकड़े गए
मुंह पर नकाब डाल कर घोड़े पर बिठाया गया
सँकरे रास्ते से गुफा में ले जाया गया
सरदार के सामने जब उनको पेश किया गया
मंत्री जी हांफ़ रहे थे
सारा बदन हो रहा था पसीना पसीना
मारे डर के थर थर कांप रहे थे
भारी आवाज में डाकुओं का बोला सरदार
क्यूँ फिजूल में डर रहे हो यार
हम तुम दोनों एक हैं
हम दोनों के इरादे भी नेक हैं
दोनों को जनता ने बनाया है
मुझे नोट देकर और तुम्हें वोट देकर जिताया है
तुम्हारे साथ सत्ता है हमारे हाथ है बंदूक
हम दोनों के निशाने हैं अचूक
हम बच रहे हैं अड्डे बदल बदल कर
और तुम बच रहे हो दल बदल बदल कर
हम दोनों एक दूसरे के हैं मित्र अजीब
जनता को लूटने में दोनों हैं करीब
हम दोनों तो जैसे सगे भईया है
दोनों का मकसद तो बस रुपईया है
हम दोनों में बहुत समानताएँ हैं
अपनी अपनी विशेषताएँ हैं
दोनों के साथ पुलिस
हमारे पीछे तुम्हारे आगे है
अपने आप को बचाने के लिए
हम रात रात जागे हैं
यहाँ आए हो तो एक काम कर जाओ
अपनों के बीच में आराम कर जाओ
बेंक लूटने के उपलक्ष्य में रात को तुम्हारा एक भाषण है
कुछ हमारी सुनो कुछ अपनी फर्माओ
तुम हमें नोट दिलाओ
हम तुम्हें वोट दिलाएँगे
जो भी कमाई होगी
मिल बाँट के खाएँगे
कुछ दिन के बाद खबर आई
डाकू ने नेता के आगे हथियारों सहित समर्पण कर दिया
आने वाले चुनाव के लिए
अपना टिकट पक्का कर लिया
क्यूंकी डाकू भी जान गया था
कि मारे मारे फिरना पड़ता है
कितनी देर तक छुपेंगे
डर डर कर जीना पड़ता है
क्यूँ ना आधुनिक ड्केती में
हम भी हाथ आजमा लें
लोगों के साथ भी रहें
और करोड़ों कमा लें
दोस्तो राजनीति भी तो एक अदभुत ड्केती है
जिसमें लोगों पर डाका डाला जाता है
लेकिन डाका डालने वाले का
कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है
डाका डालने वाला नेता हो या डाकू
लूट जनता की ही होती है
फर्क सिर्फ इतना है कि एक के हाथ में बंदूक
और एक के सफेद पोशाक होती है