आनी,
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बुधबार को आनी के विभिन्न मंदिरों में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। आनी के एक मात्र कृष्ण मंदिर ठाकुर मुरलीधर बटाला में भगवान मुरलीधर को चांदी की पालकी में सजाकर उसकी पूजा अर्चना की गई। स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सज धज कर ठाकुर मुरलीधर की पूजा अर्चना कर. उन्हें मौसमी और बीथू के फ्लार् का भोग लगाया और उनके जन्म पर मंगल गीत भी गाए। वहीं आनी के ही ओलवा गाँव स्थित भगवान परशू राम मंदिर में भी ग्रामीणों ने कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को प्राचीन परंपरा अनुसार मनाया। यहाँ महिलाओं ने कृष्ण जी की पूजा कर उन्हें भोज लगाया और मंगल गीत भी गाये। यहाँ पंडित बहादुर चन्द शर्मा ने भक्तों को कथा सुनाई। इसी प्रकार आनी के साथ लगते करसोग क्षेत्र की सीमावर्ती पंचायत तुमन के गांव छखाना में भी बुधवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा। क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी चखाना दुर्गा के कारदार् राम लाल शर्मा ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म को समर्पित. जन्माष्टमी पर्व बुधवार को चखाना दुर्गा मंदिर प्रांगण में प्राचीन परंपरा अनुसार मनाया गया। भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना के बाद भजन कीर्तन का दौर चला। भक्तों को दर्शन देने के लिए माता देव वाद्य यंत्रों की गूंज के साथ अपने दिव्य रथ में सुसज्जित होकर वाहर प्रांगण में निकली और उनके साथ भगवान परशुराम को भी बाहर लाकर ठहरी में बिराजमान किया गया। इस दौरान ब्राह्मणों द्वारा प्राचीन संस्कृति का निर्वहन करते हुए. प्रांगण में प्राचीन काव गीत पर ढाई फेर की नाटी लगाई । कारदार राम लाल शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी के पावन अबसर पर भगवान परशुराम को कलश रूप में स्थापित किया जाता और आराध्य देवी की पूजा अर्चना के बाद कथावाचक नारायण दास शर्मा भक्तों को श्रीकृष्ण लीला सहित रामायण व महाभारत के प्रसंगों का संक्षिप्त रूप से कथावाचन करेंगे। वहीं इस पर्व को चार चाँद लगाने के लिए तुमन गांव की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी पारम्परिक वेशभूषा में सजधज कर अपनी आराध्य देवी की पूजा अर्चना की और उन्हें ऋतु फल सेव.नाशपाती.खीरा व अखरोट तथा बीथू का फलाहार सहित अन्य क़ई प्रकार के अनाज अर्पित कर भोग लगाया और परिवार के लिए सुख समृद्धि का आशिर्वाद मांगा।