लुधियाना ,
आजकल लिवर-फेल्यर की सूरत में रोगी की जिँदगी को लँबा करना एक बहुत बडा चैलेंज है" डा सँदीप सिंह सिधू।
डायबिटीज फ्री वर्ल्ड के संचालक डॉ सुरेंद्र गुप्ता से प्राप्त व्यक्ति की विज्ञप्ति के अनुसार वीरवार को होटल नागपाल रिजेंसी में गैस्ट्रो-सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें 100 से अधिक डेलिगेट्स ने भाग लिया।
ऐस पी ऐस हॉस्पिटल लुधियाना के गैस्ट्रोऐंट्रौलोजिस्ट डा सँदीप सिंह सिधू मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उन्होंने "लिवर सिरौसिस के रोगी में बेहतर-स्तर जीवन वृद्धि" पर लैक्चर दिया।
शहर के वरिष्ठतम डॉक्टर्स ने इस सेमिनार में भाग लिया जिनमें प्रमुखत्य डा सुरिंदर गुप्ता, डॉक्टर इंदर कुमार शर्मा, डॉ कुलवंत सिंह, डा सरजीवन शर्मा, डॉक्टर राकेश मित्तल, डॉ आंशुल महाजन, डा अरविंद गोयल, डा धर्मपाल शर्मा, डॉ अश्विनी गुप्ता, डॉक्टर अशोक वर्मा, डॉ विशाल शर्मा, डा राहुल जैन, डा नीरज अग्रवाल, कुमार, डा अवतार सिंह लूथरा, डा रमन शर्मा, डॉक्टर लवकेश शर्मा, डा मोहित वैद, डा दीपक भाटीया, डा मि निर्मल व डा नरेश गुप्ता, डा मीनू कोछड, डा संगीता व डॉक्टर भारत भूषण, डॉक्टर विनोद कक्कड , डा सुखदीप पुरी, डा बलबीर डँग, डा अशोक अरोड़ा, डा वीरेंद्र शर्मा व डा राज कुमार बावा ने चर्चा में भाग लिया।
इस अवसर पर 29सितँबर को सिद्धपीठ दँडीस्वामी मँदिर में 266वें कैंप का बैनर भी रिलीज किया गया। पुश्पगुच्छ देकर डा सिधू का अभिवादन किया गया। डा विशाल शर्मा ने डा सिधू का परिचय-पत्र पढा। और कार्यक्रम के अँत में डा राहुल जैन ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा व आने वाले सभी डैलीगेटस् व अतिथियों का धन्यवाद किया।
डा सुरिंदर गुप्ता ने सैमीनार की शुरुआत करते हुए कहा कि दूषित-वातावरण, विश्क्त खानपान व विकृत जीवनशैली के चलते आजकल लिवर फेल्यर के रोगियों में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। पहले जहाँ शराब सेवन ही मुख्य रुप से, लिवर सिरौसिस का कारण माना जाता था, वहीं आजकल वैश्णु भोजन करने वाले व महिलायें भी इसका ग्रास बन रही हैं। इसलिये फैमिली-फाईजीशियनस् को इस नये चैलेंज को स्विकार करते हुऐ, अपने सभी रोगियों को,कुछ दिशानिर्देश देना अनिवार्य हो गया है।
डॉ सिधू ने अपने लैक्चर में कहा कि आजकल लिवर-फेल्यर की सूरत में रोगी की जिँदगी को लँबा करना एक बहुत बडा चैलेंज है, क्योंकि पेट में पानी भरने, व माँसपेशियों की कमजोरी व सोकडे जैसी स्थिति से जूझते हुऐ उसे बार बार हस्पताल में मँहगे इलाज से रूबरु होना पडता है। अँत में कई रोगियों के पास तो इलाज की स्मर्था भी नहीं रहती।
इसलिये बेहतर व लँबी जिँदगी के लिये नये नये इलाज के अनुसँधान के चलते अब अल्ब्युमिन ईंजैक्शन व रिफैक्सिमिन जैसी अन्य दवाओं से रोगी को बार बार हस्पताल में दाखिल नहीं होना पडता व रोगी अपने परिवार में ही अपना समय व्यतीत करता है। इसलिये ये इलाज मँहगा होने के बावजूद भी अँतोगत्वा सस्ता ही साबित होता है। डा सिधू ने लिवर कैंसर में मौजूद विकल्पों पर भी तफसील से बताया। और सभी को शराब से दूर रहने व स्वच्छ व स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की अपील की।