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देश की शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक तरीके से चलती है ; डाक्टर जुल्फिकार गुन्नौरी

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डाक्टर जुल्फिकार गुन्नौरी | February 05, 2022 10:52 PM
डाक्टर जुल्फिकार गुन्नौरी
हमारे  देश की शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक तरीके से चलती है,। इस व्यवस्था में जनता अपने जन प्रतिनिधियों द्वारा शासक का चुनाव वयस्क मतदाताओं द्वारा करती है। इसी तरह प्रत्येक राज्य की शासन व्यवस्था भी इसी प्रणाली द्वारा चलाई जाती है।  अर्थात् जनता का शासन, जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधि करते हैं,जिनको हम सांसद या विधायक कहते हैं।
 
इस दृष्टि से नागरिकों का मतदान करना  भारत के लोकतंत्र को जीवंतता प्रदान करता है। जन प्रतिनिधि अपने मतदाताओं के हितों और जनकल्याण संबंधी योजनाओं और परियोजनाओं को लागू कराने में कितने सक्षम हैं, कितनी गंभीरता दिखाते हैं, कितने ईमानदार हैं, और कितनी कर्मठता से  काम करते हैं। 
 
कुछ इन्हीं बिंदुओ के आधार पर हमें उनके भावी चुनाव में मतदान करते समय जांचना और परखना चाहिए । इस मापदंड को हमें बिना किसी पक्षपात, और संकीर्णता से दूर रहते हुए अपनाना होगा ताकि हमें एक स्वच्छ और ईमानदार शासन व्यवस्था मिल सके।यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि इतनी अच्छी लोकतांत्रिक व्यवस्था होते हुए भी हमें कुछ स्वार्थी तत्त्व अवांछनीय मुद्दों में भटका देते हैं, जिससे उनका तो स्वार्थ सिद्ध हो जाता है लेकिन भोली भाली जनता के साथ न्याय नहीं हो पाता अर्थात् जनहित के कार्य और विकास की बातें पीछे छूट जाती हैं । नफरत और द्वेष की सस्ती राजनीति मुखर होने लगती है, हमें पता ही नही चलता कि हमारे साथ धोखा किया जा रहा है।
 
 इसलिए हमें अपने मताधिकार का प्रयोग बहुत ही सोच समझ कर और सभी प्रत्याशियों के रिपोर्ट कार्ड और उनके व्यक्तित्व को जांच परख कर  करना चाहिए। हमारे देश में प्रत्येक पांच वर्ष बाद चुनाव होते हैं,यही पांच वर्ष सरकार की परीक्षा होती है । हम जिस विश्वास और उम्मीद से सरकार चुनते हैं,यदि वो उन कामों में खरी नहीं उतरती तो हमें अगले चुनाव में उसको बदलने का सुनहरा  अवसर प्राप्त है। जिसे हमारे देश के कई राज्य परंपरागत तरीके से अपना भी रहे हैं। उन राज्यों में प्रत्येक पांच वर्षों के बाद सरकार बदलना निश्चित है। इससे उन दलों को जनता के कार्यों को बेहतर से बेहतर करने की एक ललक पैदा होती है और सभी राजनीतिक दल जनता के प्रति जवाबदेही भी सुनिश्चित करते है । जनता को भी हर बार नए चेहरे नई आशाओं के साथ मिलते रहते हैं। इसके अलावा उन दलों में भी जनहित के कार्यों के प्रति प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। जो एक स्वस्थ और जागरूक राजनीति की पहचान है।
 
सभी राजनीतिक दलों के लिए मतदाता विशेष स्थान रखते हैं उनको लुभाने के लिए वे तरह तरह के हथकंडे और लालच भी देने का प्रयास करते हैं। जागरूक और समझदार मतदाता कभी भी पैसों और सस्ती राजनीति का शिकार  नहीं हो सकता। उसका मत एक बड़ा हथियार  है जिस जनप्रतिनिधि  ने पूर्व में जन हित कार्य बिना किसी भेदभाव और लालच के किए हैं, हमे उसे ही अपना अमूल्य मत देना चाहिए वो भी बिना किसी पूर्वाग्रह और संकीर्ण मानसिकता के। यदि हम इन कुछ बातों का ध्यान रखते हुए मतदान करें तो हमें अवश्य ही आदर्श जनप्रतिनिधि प्राप्त होंगे और फिर उनके द्वारा बनाई गई सरकार भी निश्चित ही लोककल्याणकारी सिद्ध होगी।
 
 
 
 
 
 
 
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