शिमला,
जीएसटी काउंसिल की चंडीगढ़ बैठक में हिमाचल समेत तमाम राज्यों को बड़ा झटका लगा है। काउंसिल ने जीएसटी का मुआवजा बढ़ाने की मांग को टाल दिया है। चंडीगढ़ में दो दिन तक चली काउंसिल की अहम बैठक में मुआवजे के फैसले की उम्मीद की जा रही थी, जो फिलहाल पूरी नहीं हुई है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता देवेन्द्र बुशैहरी ने कहा है कि हिमाचल को केंद्र से जीएसटी मुआवजे के रूप में करीब 3500 करोड़ रुपए का भारी-भरकम राजस्व मिलना था। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पांच साल के लिए इसके मुआवजे का इंतजाम केaद्र सरकार ने किया था। इस मुआवजे को जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के रूप में देखा जा रहा था।
देवेन्द्र बुशैहरी ने कहा है कि चंडीगढ़ में जीएसटी के पांच साल पूरे होने से ठीक पहले शुरू हुई इस बैठक से उम्मीद की जा रही थी कि मुआवजे की राशि को 2026 तक किया जा सकता है] लेकिन काउंसिल ने कोई बड़ा फेरबदल इस बारे में फिलहाल नहीं किया है। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुआवजा देने की अवधि को बढ़ाने का दबाव कई राज्यों की तरफ से था] लेकिन फिलहाल काउंसिल ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है जिससे प्रदेश को बड़ा झटका लगा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सियाही और वाटर पंप पर 18 फीसदी जीएसटी] ग्रेन क्लीनिक मशीन पर जीएसटी को पांच फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी] एलईडी बल्ब] आटा चक्की] पवन चक्की] सोलर वाटर हीटर और लेदर पर पांच से बढ़ाकर 12 फीसदी जीएसटी बढ़ाने के निर्णय से केन्द्र सरकार ने जनता पर अनावश्यक बोझ डाला है यानी ये सभी मंहगी होने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल के फैसलों के बाद मीट] मछली] दही] पनीर] शहद एवं पैक्ड और लेबल्ड खाद्य पदार्थों पर पांच फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। होटल में रहना भी महंगा होगा। एक हजार रुपए तक के कमरे में 12 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश को जहां पर्यटन के क्षेत्र में नुकसान होगा, वहीं रोजमर्रा की बस्तुए मंहगी होने पर आम आदमी कर जीवन ज्ञापन करना मुश्किल हो जाएगा।