शिमला,
भारतीय वन सेवा के पहले बैच के 64 परिवीक्षार्थियों ने शिमला में अपने विषयगत दौरे के अंतर्गत आज राजभवन में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भेंट की। इस अवसर पर संवाद सत्र का आयोजन भी किया गया।
राज्यपाल ने अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए कहा कि प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को अपार प्राकृतिक सौन्दर्य से नवाजा है और परिवीक्षार्थियों को अपनी इस यात्रा के दौरान शिमला के घने वन क्षेत्रों का दौरा करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें शिमला में वन्य पारिस्थितिक तंत्र को और अधिक जानने और समझने का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वनों के महत्व को इस प्रकार परिभाषित किया है कि एक पेड़ लगाना दस संतान के समान है और अब इन वनों के संरक्षण और विकास का दायित्व आपका होगा। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षु युवा और ऊर्जावान हैं और उन्हें विश्वास है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का पूरी निष्ठा से निर्वहन करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन आज की सबसे बड़ी चुनौती है और मौसम परिवर्तन के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हमें प्रकृति का संरक्षण करने के साथ-साथ जंगलों और जंगली जानवरों का भी संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं जिससे निपटने में आधुनिक तकनीक का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राज्यपाल ने कहा कि लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न विकासात्मक कार्यों करने की जरूरत है। उन्होंने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में नौतोड़ व चारागाह भूमि आदि मुद्दों पर सहयोगात्मक रवैया अपनाने पर भी बल दिया।
इससे पूर्व आईएफएस प्रोबेशनर्स अनुराधा मिश्रा ने बैच प्रोफाइल और पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा अनुष्का लोहिया ने विषयगत पर्यटन, विशेषकर पर्वतीय पर्यटन के बारे में विस्तार से बताया।
इस अवसर पर प्रशिक्षु अधिकारियों ने भी अपने अनुभव साझा किये।
राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशिक्षु अधिकारियों और संकाय सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।