नमन करूं वंदन करूं मां ,करूं आराधना आपकी।
धूप दीप नैवेद्य सजा रखूं मां ,करूं साधना आपकी।
स्वेत पन्नो की तू रागनी मां ,करूं अर्पण बस राग अपनी।
अक्षर अक्षर कंठ हार तू, एक एक मणि पिरो दूं आज अपनी।
तू ही मां ,तू ही जगत जननी ,तू ही सरस्वती अपनी।
तेरे स्वेत आंचल में तारों को रख, अमावस को बना दूं पूनम अपनी।
धार है कलम की तू मां ,सारी भूख आज मिटा दूं अपनी।
कुछ ऐसा रचूं तेरे स्नेह की कहानी, कोई नई रीत चला दूं अपनी।
हे हंस वाहिनी मुस्कुरा कर , मान ले बिटिया आज मुझे तू अपनी।
जीवन के हर साज की आवाज है तू, रोम रोम में बसा लूं तुझे अपनी।
गर भूल हो माफ करना, संभाल लूं जगमगाते कदम अपनी।
तेरे चरणों में रहूं नतमस्तक सदा, तमस को जला दूं आज मैं अपनी।
बस इतनी सी है तमन्ना करूं प्रार्थना, दिल में बसा लूं तुझे अपनी।
नमन करूं, वंदन करूं, करूं आराधना आपकी।