Friday, April 26, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
देवता कोट भझारी के सानिध्य् में ग्रामीण मेले की धूमएसडीएम की अध्यक्षता में लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर बैठक आयोजितआयुर्वेद के महत्व बारे जानकारी दी गईस्वीप के जरिए मतदान प्रतिशतता बढ़ाने पर जोरशिमला शहरी व ग्रामीण विस क्षेत्र के मतदान कर्मियों के लिए पूर्वाभ्यास आयोजितरतन चंद निर्झर 43 पोलिंग स्टेशन में पैदल यात्रा कर लोगों को शत प्रतिशत मतदान के लिए करेंगे जागरूक, मुख्य सचिव प्रमोद सक्सेना हरी झंडी  दिखा कर करेंगे रवाना युवा मोर्चा पार्टी की रीढ़ की हड्डी: नरेंद्र अत्रीकन्या  विद्यालय में  सोमवार  से  शुरू  होगा  दस दिवसीय  संस्कृत  संभाषण शिविर
-
कविता

स्त्री की व्यथा

-
रवींद्र कुमार शर्मा | March 15, 2021 05:24 PM

 

घुमारवीं,
 
हाँ मैं नारी हूँ
नारी की पीड़ा कैसे समझाऊं
मन में छुपे हैं भेद गहरे
कैसे में इनको तुम्हें बतलाऊँ
सीता बन कर जन्म लिया था
महलों की मैं रानी थी
दर दर भटकी बन बन घूमी
ज़र्रे ज़र्रे की खाक छानी थी
लौटी जब बनवास काट कर
परीक्षा मुझे फिर भी देनी पड़ी
मेरी पवित्रता की परीक्षा लेने को
सारी प्रजा क्यों थी अड़ी 
द्रौपदी के रूप में निर्वस्त्र हुई सभा में
सभी के मुंह पर लगे थे ताले
केशों से पकड़कर घसीटा था मुझे
सिर झुकाए बैठे थे भीष्म जैसे हिम्मतवाले
आजकल दुर्योधन और दुशाशन
हर जगह मुहँ बाए खड़े है
कैसे बचेगी आबरू मेरी
सबके मुँह पर ताले जड़े हैं
नारी की अस्मत को सरे बाजार लूटते हैं
घर में सबके मां बहन और बेटियां रहती है
जहां कहीं भी सुंदर नारी नज़र आती है
इनके मुँह से लार टपकने लगती है
मेरे शरीर की संरचना ही ऐसी है 
कैसे इसे छुपाऊं मैं
ताकती रहती हैं लोभी नज़रे
कैसे अपने आप को बचाऊं मैं
कंजकेँ मनाने को ढूंढ कर लाते हैं मुझे
पेट में मारते हैं दहेज के लिये जलाते हैं मुझे
कैसे कहूँ मैं अपनी पीड़ा कोई नहीं समझने बाला
लूटने बाले बहुत है यहाँ कोई नहीं बचाने बाला
मेरे काम को कोई नहीं जानता
सुबह से शाम मशीन की तरह चलती हूँ
दुख दर्द चुपचाप सहती हूँ
अंदर ही अंदर सुलगती और जलती हूँ
मेरा वजूद नहीं होगा जग में
तो यह संसार मिट जाएगा
मेरे बिना इस सृष्टि का बेड़ा
पार नहीं हो पायेगा
-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कविता खबरें
आओ हम स्कूल चले, नव भारत का निर्माण करें। एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन का आयोजन राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2023 से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा https://youtube.com/watch?v=CwwB-3QWd7c&si=sDQTJwQAxAjzhthR हिंदी की यही अभिलाषा हिंदी बने राष्ट्रभाषा; लोकेश चौधरी क्रांति आन मिलो मुरारी: सबके चित में तुम बसे , जैसे मुरली ताल शान ए कांगडा़ सम्मान से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा आज मैं आजादी की गाथा सुनाती हूं ,कैसे मिली आजादी यह सबको बताती हूंं ; लोकेश चौधरी ' क्रांति नैनों में तस्वीर तुम्हारी ,दिल में यादों का संसार ;अंजना सिन्हा "सखी पुकार रही है उसकी सजनी, अबकी मिल जाए मेले; अंजना सिन्हा "सखी " जय हिंद के प्रहरी ; पूनम त्रिपाठी "रानी"
-
-
Total Visitor : 1,64,71,382
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy