पहली बारिश
तपती जलती धरती पे
जब पड़ी पहली बारिश की बूंदें
भीतर तक धरती है भींजें
छाई शीतलता है धरती पे
नव जीवन का संचार हुआ वसुधा पे
पेड़-पौधे भी हर्षित हो लगे हैं झूमने
बारिश की फुहारें, चंचल हवाएं
खट्टी-मीठी यादें हैं लगे मंडराने
ना रही वो कागज़ की कश्ती
ना ही रही अब भिगने की मस्ती
ना कभी बदली तो वो पहली बारिश
आज भी वही खूबसूरत एहसास
कहीं सुप्त पड़े मानस पे
फिर से उमंग उर्जा का सौगात ले आए
नव जीवन का संचार करा जाए ।।