वो पलकों की छाँव
बाबा ! तेरी बिटिया ,ढूँढे वो बरसात,
नैहर में बरसी थी,ख़ुशियों के साथ ।
तुम तो बिठाए बाबा ! पलकों की छाँव में,
भैया की लाडो ,नैहर की शान ।
अम्मा का आँचल,ममता की नाव,
बाबा की कश्ती,वो पलकों की छाँव।
जो ख़्वाहिश थी मेरी ,फिर जग गई,
ज़िगर में दफ़न थी,आज़ाद हो गई।
उद्वेलित हैं मौजें,सुनने कहानी,
दौड़ा है घोड़ा,ले नीली-काली स्याही।
अम्मा का आँचल,ममता की नाव,
बाबा की कश्ती ,वो पलकों की छाँव।
पहला कदम तुमने ,ऊँगली पकड़,
कैसे चले बिटिया संभल-संभल।
स्वाद शबरी-सी,चखकर खिलाती,
भोज्येषु-अम्मा की,तारे नैनन ।
अम्मा की गोदी में,सिर रखकर सोती,
ममता की थपकी ,न शेष है चंद ।
अम्मा की लोरी,वो गाकर सुलाती,
निंदिया की मतवारी,बिटिया गहन।
अम्मा का आँचल,ममता की नाव,
बाबा की कश्ती ,वो पलकों की छाँव।
दुल्हन बनाकर ,मेहंदी रचाकर ,
लाल-लाल जोड़ा,लाल-चूनर ओढ़ाकर।
कंगन-चूड़ियाँ,बाज़ूबंद-हँसुली ,
नथुनी-टीका,पैजनियाँ पहनाकर।
सप्तपदी के फेरे,स्वामी संग दिलवाकर,
कर दी पराई,मंगल-सूत्र पहनवाकर।
नैहर का झूला,मेरे दिल का है कोना,
नैहर छुड़वाया ,ससुराल को सौंपकर।
याद सताए ,झरे नैनन से मोती ,
दिल से पुकारे तुझे ,यह बेटी रो-रोकर।
अम्मा का आँचल ,ममता की नाव ,
बाबा की कश्ती ,वो पलकों की छाँव।