हुआ सबेरा
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खग,मृग ,वृंद जाग गए ,हुआ सबेरा मुर्गा बोला।
आसमान में सूरज जागा,लगता है अंगार का गोला।
लालिमा जब गगन में छाई,हुआ सबेरा चिड़िया जागी,
जागो-जागो सोने वालों,मुर्गा कूकड़ूँ कूँ बोल दिया।
जागा सूरज अंधेरा भागा,करा दिया सुबह का भान।
नित कर्म से निर्वित हो,मंजन दांतों में मंजन करना है जान।
उठो-उठो बच्चों जागो,आँखें खोलो,मंजन कर आओ।
हाथ जोड़ प्रणाम करो,नित प्रभु का गुणगान करो।
आसा तृषा है सताती,सूरज निकला,रौशनी लाती।
दमक रहा धरती का कोना- कोना,आलस छोड़ो नहीं अब सोना।
आँखें खोलो आलस त्यागो,हुआ सबेरा बच्चों जागो।
मम्मी तुम्हें बुलाती है ,होमवर्क भी कराती है।
स्कूल भी अब जाना है,बस्ता भी सजाना है,
यूनिफ़ॉर्म तैयार है,स्नान कर आना है।
दूध तुम्हें पीना है,नित व्यायाम भी करना है,
सेहत का संज्ञान हो,पढ़ाई में नित ध्यान हो।
तुम्हारे काँधे देश हमारा, देश का धर्म निभाना है,
नव निर्माण देश के,भविष्य भी तुम्हें बनना है। ।
उठो-उठो जागो-जागो,हुआ सबेरा, हुआ सबेरा,